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Monday, 12 December 2016

भारतीय राजनीति एवं नैतिक पतन


सम्भवतः वर्तमान में नैतिक पतन अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच चुका है। हाल के दिनों में, देश-विदेश से, ऐसी अनेक खबरें आयी हैं जिससे यह पूर्णतः सत्यापित हो जाता है कि निवर्तमान समय में आप किसी व्यक्ति, समूह, एवं देश इत्यादि, से नैतिकता की अपेक्षा नहीं रख सकते हैं। और देर-सवेर, यह सत्य कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में परिलक्षित हो ही जाता है।

भारत जैसे, अति उच्च मूल्यों एवं संस्कृति, के वाहक रहे देश में तो नैतिकता का ह्रास अत्यधिक द्रुतगामी गति से देखने को मिल रहा है। आज भारतीय समाज पाश्चात्य संस्कृति एवं सभ्यता का अंधानुकरण कर रहा है और अपनी ही जडो पर कुठाराघात कर रहा है। यह एक अत्यंत शोचनीय स्थिति है जिसका निदान हमें समय रहते ढूंढना पढेगा क्योकि पाश्चात्य संस्कृति एवं सभ्यता का अंधानुकरण हमारे नैतिक पतन का मुख्य कारण है। यदि हम अपनी संस्कृति एवं सभ्यता का अनुपालन करते रहते तो आज हम सफलता के शिखर पर होते।

पिछ्ले ४-५ वर्षों में ऐसी कई घटनाएं हमारे समाज में घटित हुयीं हैं जिनसे यह स्प्ष्ट हो गया कि भारतीय समाज में मानवीय मूल्यों के लिए कोई स्थान नहीं बचा है। भारत के नीति-निर्देशकों को इस ओर तुरन्त ध्यान देना चाहिए अन्यथा कहीं देर न हो जाए।

किसी भी समाज को जानने के लिए कुछ क्षेत्र विशेष रूप से उद्धृत किए जाते हैं उनमें से एक है राजनीति। आज भारतीय राजनीति एवं राजनेताओं का स्तर  कितना नीचे जा चुका है यह जग जाहिर है। राजनैतिक दल वोट बैंक की कुत्सित राजनीति पर बेझिझक और बेशर्मी से अमल कर र्हे हैं। देशहित अब एक गौण विषय बन कर रह गया है। राजनैतिक दल अपने फायदे के लिए अपनी नीतियों एवं करनी-कथनी में अपनी सहूलियत से परिवर्तन कर देते हैं कि हम आम लोग उसे देखकर हतप्रद रह जाते हैं क्योंकि वो अपने आपको तो देश एवं देशवासियों का सबसे बडा हितैषी बताते हैं और अपने विरोधियों को देशद्रोही एवं देशवासियों का दुश्मन, फिर चाहें उनके खुद के क्रियाकलापों से देशद्रोह की बू क्यो न आ रही हो।

लेकिन शायद वो भूल जाते हैं कि आज इंटरनेट एवं स्मार्टफोन का जमाना है और इस देश का आम नागरिक भी वर्षों से इन दुराभिसंधियों को देखते-सहते सब जान चुका है शायद यही वजह है कि वह अब परिपक्व हो चुका है और ऐसे राजनीतिक दलों को पहचान चुका है।
आगामी निकट भविष्य में एक बार फिर चुनावी महासमर का आयोजन होने जा रहा है, अतः एक बार फिर से आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरु होने जा रहा है, कुछ नए कुछ पुराने घोटालॉ की बखिया नए नए तरीकों से उधेडी जाएगी लेकिन जहां बात नैतिकता की आएगी वहां हर एक दल खुद को पाक साफ और विरोधियों को महाभ्रष्ट बताएगा।

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम सभी मतदाताओं को और अधिक जागरूक बनना पडेगा ताकि हमारा मत एक उचित प्रत्याशी को ही जाए जो देश एवं समाज के हित में सोचे, कार्य करे और देश-समाज का विकास करे, न कि खुद और अपने परिवार का। हमें अभी से कमर कसनी होगी ताकि भ्रष्ट प्रत्याशियों को चिहिन्नित किया जा सके और उनको सम्पूर्ण चुनावी प्रक्रिया से बाहर किया जा सके।

भारत माता की जय।


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