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Sunday, 11 December 2016

सफलताः जीवन के लिए एक उत्प्रेरण

सफलता एक पैमाना है जो व्यक्ति विशेष की कडी मेहनत और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सफलता सीढी दर सीढी चढकर सर्वोच्च पायदान पर पहुचने और वहां पहुंच कर टिके रहने का नाम है। लेकिन सफलता प्राप्त करने के लिए अनेकानेक परीक्षाओं से गुजरना पढता है और विजयश्री का स्वाद तब मिल पाता है जब आप बिना विचलित हुए प्रयासरत रहते हैं।

टामस अल्वा एडीसन का उदाहरण अनुकरणीय है। एडीसन ने बिजली के बल्ब का अविष्कार किया था। सफलता प्राप्त करने से पहले उन्हे लगभग ११०० बार असफलता का मुंह देखना पडा, लेकिन उन्होने हार नहीं मानी विभिन्न संयोजनों के साथ निरंतर अपने प्रयोग जारी रखे और आज परिणाम सबके सामने है।

रुढिवादी विचारधारा से आगे निकलकर अगर हम देखें तो हमारे शास्त्रों / ग्रन्थों में जिन उद्धरणों में यह बताया गया है कि अमुक व्यक्ति / ॠषि नें वर्षों की कठोर तपस्या करके अमुक देवता / भगवान को प्रसन्न करके मन वांछित वरदान प्राप्त करना नहीं था अपितु वह तो उनका वर्षों तक किया गया परिश्रम था। घनघोर वनों में वास करके एकाग्रचित्त रह कर और अनेकानेक असफलताओं से उबर कर मनवांछित फल प्राप्त किये।

कुछ लोग आरंभिक असफलताओं से डरकर अपना संघर्ष बीच में ही छोड देते हैं किन्तु जो धुन के पक्के होते हैं और कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी डटे रहकर अपने कार्य को पूर्ण करते हैं उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है।

लेकिन सफलता कभी कभी अपने साथ दंभ तथा द्वेष भी लेकर आती है लेकिन ऐसा तब होता है जब सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपरिपक्वता का परिचय देता है। सफलता के साथ कई लोग मस्तिष्क पर नियन्त्रण नहीं रख पाते हैं जिससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

अंततः यह कहना सर्वथा उचित होगा कि मानव जीवन में सफलता एक उत्प्रेरक का कार्य करती है क्योकि सफलता प्राप्त करने से व्यक्ति एक उचित मार्ग पर अग्रसर हो जाता है और व्यक्ति समाज में अपना एक यथोचित स्थान प्राप्त करता है। और एक सफलता प्राप्त व्यक्ति, अन्य कई राह से भटके हुए लोगों के लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करता है।


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